करणीयमेत्तसुत्तं और उसका अर्थ | Karniyametta Sutta & its Meaning!
करणीयमेत्तसुत्तं करणीय मत्थ कुसलेन,यन्तं सन्तंपदं अभिसमेच्च। सक्को उजू च सुजू च,सुवचो…
करणीयमेत्तसुत्तं करणीय मत्थ कुसलेन,यन्तं सन्तंपदं अभिसमेच्च। सक्को उजू च सुजू च,सुवचो चस्स मुदु अनतिमानी ।।१।। सन्तुस्सको च सुभरो च,अप्पकिच्चो च सल्…
Read moreसल्लसुत्त अनिमित्त मनञ्ञातं, मच्चानं इध जीवितं । कसिरं च परित्तं च, तं च दुक्खेन संञ्ञुतं ॥१॥ न हि सो उपक्कमो अत्थि, येन जाता न मिय्यरे । जरंम्पि …
Read moreबोधिसत्व बाबासाहेब आंबेडकर जयंती उत्सव - 14 एप्रिल 2022 : देखावा - दीक्षा भूमी : ठिकाण - नाशिकरोड! खरतर ह्या वर्षीचा देखावा मला खूपच जास्त आवडला आह…
Read more☸️ बोधिसत्व बाबासाहेब जी की जयंती ☸️ साल मे एक दिन बाबासाहब प्रति प्रेम सबका जागता है ! एक दिन का दिखावा सब करेंगे और साल भर बाबासाहेब के विचारोके व…
Read more💥 जिनहोणे मुझे मंगल कामना दि और नही दी वो मेरे सभी प्यारे बडे-छोटे भाईयो , बेहेनो, माताओ मे आपके प्यार के प्रति पूर्णतः दिल से कृतग्य हु ❣️और मेरी…
Read moreत्रिपिटक के ग्रँथ ;- ■ 1. विनयपिटक - सुत्तविभंग - खन्धक - ◆1. महावग्ग ◆ 2. चूलवग्ग - परिवार ■ 2. सुत्तपिटक - दिघ निकाय - मजझीम निकाय - संयुक्त निकाय…
Read moreबुद्ध की धम्मचक्रप्रवर्तनमुद्रा जो है वह बहुत ही ज्यादा बहुचर्चित और प्रसिद्ध है ! सारनाथ मे तथागत बुद्ध ने जो पेहेले 5 लोगोको धम्म का उपदेश दिया उ…
Read moreअसोक स्तंभ से आज पूरी दुनिया वाकिफ है! पूरे विश्व में ऐसा कहीं नहीं दिखाई देता ऐसा यह एक स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है! ऐसे स्तंभ अशोका द्वारा सम…
Read moreबाहुं सहस्स मभिनिम् मित सा युधं तं गिरि मेखलं उदित घोर ससेन मारं दानादि धम्म विधिना जित वा मुनिन्दो तं तेजसा भवतु ते जय मंगलानी मारातिरेक मभियुज…
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Read moreअशोक चिन्ह ! ये चिन्ह इतिहास मे बहोत महत्वपुर्ण है. असोक चिन्ह को राज चिन्ह भी कहा जाता है. ईस चिन्ह मे सबसे उपर चार सिंह है जो एक दुसरे को पिठ लगाक…
Read moreचौखंडी स्तूप :- यह स्तूप वाराणसी से सारनाथ को जाने के रास्ते पर बाये बाजू को है ! यहां से नजदीक ही धम्मेक स्तूप और सारनाथ म्यूजियम है ! सारनाथ म्यूज…
Read moreजम्बुद्विप/भारत विश्वगुरू था क्यू की भारत के बौद्ध संस्कृतीने पुरे विश्व को ;- भाषा (पाली - हर भाषा का उगम) वैद्यकीयशास्त्र कला शरीरशस्त्र कला (जीवक…
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Read moreसाथीयो विपस्यना मे मंगलमैत्री का बोहोत महत्व है ! विपस्यना होणे के बाद जब मन शांत ,स्थिर ओर निर्मल होता है तो ऊस विकत शुद्ध मन से मन मे ये ही कामना ह…
Read moreमैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्…
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Read more"सब्बपापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसम्पदा। सचित्त परियोदपनं, एतं बुद्धान सासनं।।" "धम्म चरे सुचरितं, न तं दुच्चरितं चरे । " धम्…
Read moreचंद्रगुप्त मौर्य – 322-298 ईसा पूर्व (24 वर्ष) बिन्दुसार – 298-271 ईसा पूर्व (28 वर्ष अशोक – 269-232 ईसा पूर्व (37 वर्ष) कुणाल – 232-228 ईसा पूर्…
Read moreरतनसुत्त (RATAN SUTTA) और उसका अर्थ ! एक बार जब वैशाली नगरी भयंकर रोगों, अमानवी उपद्रवों और दुर्भिक्ष-पीड़ाओं से संतप्त हो उठी, तो इन तीनों प्रकार क…
Read moreकरणीयमेत्तसुत्तं करणीय मत्थ कुसलेन,यन्तं सन्तंपदं अभिसमेच्च। सक्को उजू च सुजू च,सुवचो…
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