असोक स्तंभ से आज पूरी दुनिया वाकिफ है! पूरे विश्व में ऐसा कहीं नहीं दिखाई देता ऐसा यह एक स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है! ऐसे स्तंभ अशोका द्वारा सम्राट असोका द्वारा पूरे भारतवर्ष (जंबूद्वीप) मे ऐसे स्तंभ सम्राट असोका द्वारा बनाए गए! जहा जहा तथागत बुद्ध के जीवन से जुड़े स्थल है वाह-वाह सम्राट असोका के द्वारा निर्माण किए गए ऐसे स्तंभ हमें देखने मिलते हैं! सम्राट अशोक जी ने यह स्तंभ पत्थरों पर बनाए हैं ; शिलालेख यह संकल्पना भी सम्राट अशोका की वजह से ही आज पूरे भारतवर्ष में फैली हुई दिखती है ! तथागत बुद्ध ने अपने पूरे जीवन काल में 84000 उपदेश दिए थे इसी वजह से अशोकाजी ने अपने कार्यकाल में 84 हजार लेणी , स्तूप , विहार आदि. का निर्माण किया ! ऐसा ही एक स्तूप असोकाजी ने बुद्ध ने जहा भिक्खूसंघ की स्थापना की वह बनाया ! सेठ पुत्र यस और उसके 54 दोस्तों तथा पंचवर्गीय भिक्खूयो के साथ बुद्ध के संघ की स्थापना हुई थी और "बहुजन हिताय बहुजन, बहुजन सुखाय" इस लोकानुकंपाय का आदेश तथागत बुद्ध ने इस स्थान पर भिक्खू संघ को दिया था
इस स्थान पर अशोका जी ने जो अशोक स्तंभ खड़ा किया था वह मूल रूप में यानी उसकी असली ऊंचाई 15.25 मीटर थी और उसके ऊपर चार शेर थे! अभी सिर्फ 2.03 मीटर के टूटे हुए पिलर के ऊपर यह खड़ा है बाकी टूटे हुए सारे अवशेष नजदिक ही बिखरे हुए मिले थे ! स्तंभ का आधार 2.44 मीटर लंबा, 1.83 मीटर चौडा और 0.46 मीटर जाड पतथर (पाषाण) है ! इसके उपर बाकी स्तंभ खड़ा है! इन स्तंभों में तीन शिलालेख है जो पाली/प्राकृत भाषा में है उस पर यह लिखा है "जो भिक्खू और भिक्खूनी संघ में फूट डालेंगे और संघ की निंदा करेंगे उनको सफेद कपड़े पहना के संघ से बाहर निकाल दिया जाएगा! दूसरा लेख कुषाण काल का है जो कौशुंबी का राजा अश्वघोष इनके आयु के 40 वे वर्ष में लिखा गया है. तीसरा लेख गुप्तकालीन है जिसमें विभागीय समिति शाखा के आचार्य तथा वास्तिक पुत्रक संप्रदाय का संदर्भ देखने मिलता है
आसोक स्तंभ के उपरी भाग को आसोक चिन्ह भी कहा जाता है ऊसके बारे मे जानने के लिये आप अशोक / असोक चिन्ह के आर्टिकल को भी जरूर पढे !
Today the whole world is aware of the Asoka Pillar! This is one of the finest specimens of architecture that does not appear anywhere in the world! Such pillars were made by Emperor Asoka / Ashoka in all over India (Jambudweep)! All the places Which associated with the life of Tathagath Buddha, we see such pillars built by the Emperor Asoka. Emperor Asoka built these pillars on stones; Inscription This concept is also due to the emperor Ashoka, today it seems to be spread all over India!
The Tathagata Buddha had given 84000 sermons throughout his life, which is why Ashoka ji had built 84 thousand caves, stupas, viharas, etc. during his tenure. One such stupa Asoka had built where Tathagath buddha established the Bhikkhusangha! The buddha established his sangha with Son of sen :- Yesh and his 54 friends and the Panchavargiya Bhikkhuyo (5ve classes/5bhikku) ! and "Bahujan Hitay , Bahujan Sukhay" ordered / Lokanukampaya given by the Tathagata Buddha to Bhikkhu Sangha at this place.
This Asoka Pillar was originally meant to be 15.25 meters in height and had four lions on top of it! Right now it is standing on top of a broken pillar of 2.03 meters, all the other broken remains were found scattered on that place! The base of the pillar is 2.44 m long, 1.83 m wide and 0.46 m broad patthar (stone)! The rest of the pillar stands on top of it!
These pillars have three inscriptions which are in Pali / Prakrit language !
1st Inscription by Asoka :- "Those who break into the Bhikkhu and Bhikkhuni Sangha and condemn the Sangh will be expelled from the Sangh by wearing white clothes" !
2nd Inscription by The king Ashwaghosh of Kaushumbi was written in the 40th year of his age.
3rd Inscription was written in Gupta period in which reference is found About the Teacher's of the departmental committee and Vatsik putrak sampradayak (community)
The upper part of the Asoka pillar is also called the Asoka sign/symbol. To know about it, you must also read the article of Ashoka / Asoka sign/symbol.
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