साथीयो विपस्यना मे मंगलमैत्री का बोहोत महत्व है ! विपस्यना होणे के बाद जब मन शांत ,स्थिर ओर निर्मल होता है तो ऊस विकत शुद्ध मन से मन मे ये ही कामना होनी चाहीये ! मंगलकामना !!
मेरे अर्जित पुण्य में , भाग सभी का हो इस मंगलमय धम्म का लाभ सभी को होय रे.
मेरे सुख में शांति में , भाग सभी का हो इस मंगलमय धम्म का लाभ सभी को होय रे.
तेरा मंगल, तेरा मंगल, तेरा मंगल होय रे .
सबका मंगल , सबका मंगल , सबका मंगल होय रे.
जिस गुरुदेव ने धम्म दिया उनका मंगल होय रे ,
जिस जननी ने जन्म दिया उसका मंगल होय रे ,
पाला-पोसा बड़ा किया , उस पिता का मंगल होय रे ,
इस जगत के सब दुखिया रे, प्राणी का मंगल होय रे ,
जल में थल में और गगन में सबका मंगल होय रे ,
अंतर मन की गांठे टूटे, अंतर निर्मल होय रे ,
राग-द्वेष और मोह मिट जाए शील समाधि होय रे,
शुद्ध धम्म धरती पर जागे पाप पराजित होय रे,
इस धरती धरती के तण-त्रिन में कण-कण में धम्म समाये रे,
शुद्धधम्म जन-जन में जागे, घर-घर में शांति समाये रे ,
शुद्ध धम्म मन-मन में जागे मुक्ति दुखों से होय रे ,
सारे देश के सारे प्राणी मंगललाभी होय रे ,
सकल विश्व के सारे प्राणी मंगललाभी होय रे ,
जन-जन मंगल, जन-जन मंगल जन-जन सुखिया होय रे !
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