जम्बुद्विप/भारत विश्वगुरू था क्यू की भारत के बौद्ध संस्कृतीने पुरे विश्व को ;-
भाषा (पाली - हर भाषा का उगम)
वैद्यकीयशास्त्र कला शरीरशस्त्र कला (जीवक)
लेखन कला (ताम्र पत्र लेखन , पन्न लेखन ,शिलालेख),
प्रवास कला (3नो चिनी प्रवासी )
मूर्ती कला, कोरीव कला(लेणी, स्तूप, प्रतिकात्मक चिन्ह )
आयुर्विज्ञान (जिसे चालकी से आयुर्वेद कहा गया - नागार्जुन)
संख्या शून्यवाद (नागार्जुन)
मार्शल आर्टस् / कुंफू (बौद्ध टीचर्स)
कालमापन (चंद्रयान पद्धती)
जगद्विख्यात युनिव्हर्सिटीज (नालंदा तक्षशिला विक्रमशीला जगदल ओदांतपुरी)
रंगशास्त्र / चित्रकला ( जो की लेणीयो मे देखने मिलता है)
बांधकाम शास्त्र (सिंधू घाटी , हडप्पा, मोहंजदरो , स्तूप लेणी )
जीवन जिने की कला
विज्ञान वादी दृष्टिकोन
सारे प्रकार के मेडिटेशन (विपस्यना, चेतनानुपस्यना , बुद्धानु सती , कायानुसती , वेदनानुपस्यना आदी. )
#चलो बुद्ध की ओर ❤️💥💥
0 Comments