☸️ बोधिसत्व बाबासाहेब जी की जयंती ☸️
साल मे एक दिन बाबासाहब प्रति प्रेम सबका जागता है !
एक दिन का दिखावा सब करेंगे और साल भर बाबासाहेब के विचारोके विरोध मे ही काम करेंगे ! फिर से 1% लोग बाबासाहब का काम करेंगे और बाकी 99% आराम !
बाबासाहब की जयंती दारू पिके , नाच गाना करके , आतिषबाजी करके वायू प्रदूषित करके भिम भक्ती दिखाने का मामला नही है !
ये मामला है बाबासाहब के विचारो को जीवित रखने का ! ये मामला है बाबासाहब के धम्मीक , सामाजिक , शैक्षणिक , राजनैतिक, आंदोलन की समीक्षा करणे का ! उसको आगे ले जाने का ! ये मामला है खुद को बौद्ध बनाने का ! ये मामला है बौद्ध लोगोकी खुद की व्यवस्था निर्माण करणे का !
दारू पिके पंचशील का आचरण करणे वाले "बोधिसत्व बाबासाहब" के प्रतिमा के सामने हम खडे ही नही रेह सकते तो उनको छुना तो बोहोत दूर की बात है लेकीन , दारू पिके बाबासाहब को हार चढाने वाले होशियार लोग भी है पुरे भारत मे ! भारत के हर जगाह पर ऐसी स्थिती दिखाई देती है ! निले मे लोग भूल जाते है के बाबासाहेब को हम "बोधिसत्व" केहते है ! उनहोणे लोगोसे "तथागत बुद्ध" द्वारा दिया हुवा पंचशील के अनुसरण की अपेक्षा की है !!
(पाचवा शील - सुरा मेरय मज्ज पमाद ठाणा वेरमनी सिख्खापदम समादियामी - मे मादक/ नशिले पदार्थ से अलिप्त रेहणे की प्रतिज्ञा ग्रहण करता हु !)
व्यसन मुक्त जयंती का निर्धार सबको करना होगा तोही हम असलीयत मे बाबा के बच्चे एवं सच्चे अनुयायी केहलाऐंगे !! अन्यथा सिर्फ दिखावा होगा !!
आज ही प्रण लो व्यसन मुक्त जयंती का !! पंचशील संपन्नता से भरे जयंती का !! बन जाओ बाबासाहब के सच्चे अनुयायी !! बन जाओ बौद्ध !!
- धम्मप्रचारक - राहुल जगताप. (Struggle Of Revolution )
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